आज के आधुनिक  दौर एवं पाश्चात्य भाषा व् संस्कृति  के प्रभाव से  हमारी आज की पीढ़ी अपनी बोली भाषा को भूलती जा रही है जिससे हालत यह है कि युवा अंग्रेजी तो फर्राटे के साथ बोलते है परन्तु अपनी बोली भाषा को बोलने में दिक्कत होती है।
इस सब का प्रभाव बहुत गहरा पडा  और आज "सयुंक्त राष्ट्र संघ" ने उत्तराखंड की बोली-भाषा को विलुप्त होती भाषा की श्रेणी मे रखा ।
लोक भाषा  एवं संस्कृति पर आये इस संकट को देखते हुए लोक भाषा एवं संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन  में तीर्थनगरी ऋषिकेश का एक निःशुल्क शिक्षण संस्थान "उड़ान फाउंडेशन" प्रयासरत है।
उड़ान फाउंडेशन एवं स्कूल की नीव तीर्थनगरी ऋषिकेश के प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ राजे सिंह नेगी जी ने करी  जिनका लक्ष्य गरीब बच्चो को बिना किसी भी शुल्क के शिक्षा देना है।

उड़ान स्कूल ऋषिकेश निःशुल्क शिक्षा के साथ साथ प्रदेश का पहला ऐसा शिक्षण संस्थान है जो बच्चो को हमारी लोक भाषा एवं संस्कृति की भी शिक्षा दे रहा है। उड़ान स्कूल में बच्चो को अंग्रेजी,हिंदी के साथ साथ गढ़वाली एवं कुमाऊनी भाषा का भी ज्ञान दिया जाता है। स्कूल  में हर वर्ग ,हर भाषा के बच्चे सामान भाव से शिक्षा ग्रहण कर रहे है। स्कूल में एक विषय के रूप में लोक भाषा को रखा गया है जिसमें बच्चे गढ़वाली कुमाऊँनी,जौनसारी भाषा  सीखते है।

उड़ान स्कूल के बच्चो के साथ डॉ राजे सिंह नेगी 

उड़ान फाउंडेशन ने "उड़ान स्कूल" की तरह ही  लोक-भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए उड़ान फाउंडेशन एवं वरदान संस्था ने मिलकर गढ़वाली कुमाउनी आखर ज्ञान नाम से वर्णमाला का चार्ट प्रकाशित करा

इन प्रयासों के साथ एक प्रयास आज के डिजिटल युग को देखते हुए भी किया तथा लोक भाषा के संरक्षण के लिए  मोबाइल एप्लीकेशन तैयार करा।
उड़ान फाउंडेशन द्वारा बनाये गए एंड्राइड एप्लीकेशन "उड़ान लोकभाषा की " गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते है। इस मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से आप कही से भी हमारी लोकभाषा के  "आखर ज्ञान "के साथ साथ  बाल कविताये आदि सीख सकते है। रोजाना इस एप्लीकेशन के माध्यम से आपको एक नया शब्द सीखने मिलेगा।